गोरखपुर : जीएन नेशनल पब्लिक स्कूल के कक्षा चार-ए की ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान पाकिस्तान आर्मी ज्वाइन करने की नसीहत देने वाली शिक्षिका शादाब खानम की ओर से दी जा रही सफाई, किसी के गले नहीं उतर रही है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि शिक्षिका का तर्क प्रथम दृष्टया झूठा लग रहा है।
दरअसल, दो दिन पहले ही शिक्षिका ने गूगल से अंग्रेजी के नाउन के उदाहरण को कॉपी करके ग्रुप पर डालने की बात स्वीकारी थी मगर गूगल पर नाउन के उदाहरण से जुड़ी कोई भी सूचना अगर सर्च की जाती है तो उसके उत्तर में कहीं भी पाकिस्तान से जुड़े उदाहरण नहीं आते हैं।
शिक्षिका स्कूल में पिछले 11 साल से स्कूल में पढ़ाने का दावा कर रहीं हैं। क्या वो इतने सालों में गूगल से पाठ्य सामग्री डाउनलोड करके ही बच्चों को पढ़ाती रही हैं। इस तर्क को स्कूल प्रबंधन ने सत्यापित भी कराया। स्कूल प्रबंधन की ओर से गठित कमेटी ने पहले गूगल पर अंग्रेजी का नाउन लिखकर देखा तो पाकिस्तान से संबंधित कोई स्टडी मैटेरियल नहीं मिला।
कमेटी को लगता है कि जानबूझकर विवादित विवादित पाठ्यसामग्री तैयार कराया गया, फिर उसे बच्चों के व्हाट्स एप ग्रुप पर फारवर्ड किया गया। शिक्षिका ने जिस मोबाइल नंबर से स्टडी मैटेरियल भेजा है, वह फॉरवर्डेड दिखा रहा है। इसका मतलब है कि स्टडी मैटेरियल दूसरे मोबाइल नंबर से आया, फिर उसे शिक्षिका ने आगे बढ़ाया।
निदेशक गोरक्ष प्रताप सिंह भी कहते हैं कि शिक्षिका का तर्क ठीक नहीं है। एक सप्ताह में नोटिस का जवाब शिक्षिका को देना है, फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी। सीबीएसई के स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाती हैं। शिक्षकों को ग्रामर की किताबें मुहैया कराई गई हैं। अगर शिक्षिका को पीडीएफ ही भेजना था तो किताब से भेजने में क्या दिक्कत थी। यह घटना सुनियोजित साजिश की ओर इशारा कर रही है।
इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की पसंद के मुताबिक ही गूगल जानकारी देता है। सूचना परोसता है। फेसबुक या यूट्यूब के साथ भी ऐसा ही है। वीडियो सहित अन्य सामग्री मोबाइल या कंप्यूटर पर आती हैं। मोबाइल की हिस्ट्री में इसकी जानकारी होती है। लॉगइन करते ही दिखाना शुरू कर देता है।
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