डॉ0 एस0 चंद्रा
गोरखपुर : सब कहते हैं कि नए दौर में बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है। लेकिन बात जब परम्पराओं और रीति रिवाजों की आती है तो विरले ही कोई नई मिसाल कायम करने का साहस करता है। गोरखपुर की एक बेटी ने ऐसा ही साहस दिखाया है। उसने यह साबित कर दिया कि अभी तक जिन परम्पराओं और रीति रिवाजों को सिर्फ पुरुष निभाते चले आए हैं उन्हें बिना किसी हिचक के बेटियां भी निभा सकती हैं। अपने माता-पिता की चार बेटियों में तीसरे नंबर की बेटी मधु ने लड़का और लड़की के भेद को मिटाते हुए एक भाई की तरह अपनी बड़ी बहन जागृति का तिलक चढ़ाया। बेटी के इस कदम की हर कोई तारीफ कर रहा है। लड़के के परिवारवाले भी उसकी दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं।
चौरी चौरा के रामुडीहा के रहने वाले केशव सिंह और उनकी पत्नी बिंद्रावती देवी की चार बेटियां ही हैं। केशव सिंह दो निजी स्कूल चलाते हैं तो उनकी पत्नी बिंद्रावती देवी सरदारनगर के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक हैं। केशव सिंह और बिंद्रावती देवी ने अपनी चारों बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाई है। बड़ी बेटी रुचि सिंह ने बीटेक के बाद बीएड किया है तो दूसरी बेटी जागृति सिंह ने पालिटेक्निक और एमएड। तीसरी संतान मधु सिंह एमएससी पास हैं और पिता के स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। चौथी पुत्री गगन सिंह एमएससी, बीएड करने के बाद न्यूट्रीशियन का कोर्स कर एक निजी अस्पताल में काम कर रही हैं।
केशव सिंह ने बताया कि जागृति की शादी तय होने के साथ ही मधु ने तिलक चढ़ाने की इच्छा जताई। मधु ने कहा कि हमारा कोई भाई नहीं है तो क्या हुआ। हम बहनें एक-दूसरे के लिए बहन भी हैं और भाई भी। आज के जमाने में बेटियां हर वो काम कर रही हैं जो बेटे कर सकते हैं। बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं है। लिहाजा भाई की जगह बड़ी बहन का तिलक छोटी बहन भी चढ़ा सकती है।
केशव सिंह ने कहा कि बेटी के इस प्रस्ताव पर उन्होंने लड़के वालों से बात की तो वे भी खुशी-खुशी तैयार हो गए। उन्होंने बेटी की खुलकर तारीफ भी की। दोनों परिवारों का मानना है कि मधु के इस कदम से समाज में बेटियों का सम्मान बढ़ेगा। मधु की दीदी जागृति की शादी 30 नवम्बर को होने वाली है। मधु के जीजा सुधाकर सिंह आइआइटी कानपुर से एमटेक और सिंचाई विभाग में सहायक अभियंता हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त दोनों परिवारों में इस बात की खुशी है वे एक अच्छी पहल का हिस्सा बन रहे हैं।
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