गोरखपुर, कुछ ऐसी विशेष परिस्थितियां होती हैं जब बच्चे को स्तनपान कराने के लिए मां के स्तन से दूध निकालना पड़ता है । कोविड काल में संक्रमण से बचाने के लिए इस कार्य में काफी सतर्कता की आवश्यकता होती है । इसके साथ ही मां के स्तन से सही तरीके से दूध निकालना भी आवश्यक है । इस संबंध में एक वीडियो के जरिये जिले की धात्री महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है । यह वीडियो संदेश आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिये समुदाय में दिखाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने लेबर रूम में भी लाभार्थियों को यह वीडियो सन्देश दिखाने का दिशा-निर्देश दिया है।
वीडियो के जरिये बताया गया है कि शिशु को घर में छोड़कर बाहर जाने वाली कामकाजी महिलाओं, स्तन की समस्या के कारण स्तनपान कराने में असमर्थ महिलाओं, मां या शिशु के बीमार होने के कारण स्तनपान में दिक्कत और प्री-टर्म या बीमार नवजात जो स्तनपान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें कटोरी में मां का दूध निकाल कर पिलाना पड़ता है । मां के हाथों का प्रयोग करते हुए स्तन से दूध निकालना एक एक उपयोगी कला है ।
स्तन से दूध निकालने से पहले हाथों की साबुन पानी से साफ-सफाई नितांत जरूरी है। मां के स्तन के नीचे साफ कटोरी ही रखी जानी चाहिए । नीचे से सहारा देते हुए स्तनो पर हल्की मालिश करनी चाहिए । स्तन के काले भाग के ऊपर अंगूठे और नीचे उंगलियों को सही तरीके से रखें । उंगलियों को पीछे ले जाते हुए धीरे से स्तन को दबायें और फिर सही तरीके से आगे की तरफ दबायें । स्तन के अलग-अलग भाग पर यही प्रक्रिया दोहराना होता है।
प्रसव कक्ष में ऐसे निकालना है दूध
कुल एक मिनट 24 सेकेंड के वीडियो संदेश के जरिये यह भी बताया गया है कि स्तनपान संबंधित ऑक्सीटोसिन हार्मोन को सक्रिय करने के लिए प्रसव कक्ष में सहायिका से धात्री की पीठ पर मालिश के लिए बोलना है । इसके बाद स्तनों की हल्की मालिश करें। निप्पल को धीरे-धीरे मसलें या सहलाएं । अंगूठे एवं तर्जनी ऊँगली की मदद से स्तन से सभी हिस्सों से दूध को कटोरी में निकालें।
छह माह तक सिर्फ मां का दूध दें
कैंपियरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में स्टॉफ नर्स गुरुदीप कौर का कहना है कि धात्री महिलाओं को प्रसव कक्ष में ही स्तनपान का महत्व बताया जाता है । उन्हें सिखाया जाता है कि छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराना है और छह माह बाद दो वर्ष तक स्तनपान के साथ बच्चे को पूरक आहार देना है । जिन माताओं को दूध कटोरी में निकाल कर पिलाना पड़ता है, उन्हें बताया जाता है कि शिशु को दूध पिलाते समय कटोरी या चम्मच शिशु के होठों से इस प्रकार स्पर्श करवाना है कि शिशु अपने आप दूध पिए । शिशु को जबर्दस्ती दूध नहीं पिलाना है । जन्म से एक घंटे के भीतर शिशु को पहला गाढ़ा पीला दूध अवश्य पिलाना है क्योंकि उसमें कोलस्ट्रोम होता है जो बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है ।
यह भी रहे ध्यान
• सही तरीके का अनुसरण कर प्रत्येक 20-30 मिनट में मातायें अपने शिशु के एक खुराक के लिए दूध निकाल सकती हैं ।
• एक बार निकाले गये दूध को सामान्य तापमान पर छह से आठ घंटे तक बिना उबाले इस्तेमाल करना है ।
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