कोरोना काल में सेवा की मिसाल बने दिव्यांग टूनटून

गोरखपुर, (रामकृष्ण पट्टू)समुदाय के लिए कुछ बेहतर करने का इरादा हो तो परिश्रमी व्यक्ति के सामने परिस्थितियां बौनी  साबित हो जाती हैं । इसे साबित कर दिखाया है शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र के डाटा  एंट्री ऑपरेटर टूनटून यादव ने । उन्होंने कोरोना के दोनों चरणों में दिव्यांगता को मात देकर सेवा की मिसाल पेश की । उच्चाधिकारियों का कहना है कि कांटैक्ट ट्रेसिंग और रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) की रिपोर्टिंग व को-आर्डिनेशन में दिन रात एक करके टूनटून ने गुणात्मक सुधार किया । महज छह साल की उम्र में एक सड़क दुर्घटना में दिव्यांग हुए टूनटून को अच्छे कार्य के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया है ।

महराजगंज जिले के नौतनवां ब्लॉक के सम्पतिहा गांव के  टूनटून दो भाइयों और तीन बहनों के परिवार में सबसे बड़े हैं । घर में माता-पिता भी हैं, जिनकी देखरेख और परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी टूनटून पर है । उनका जन्म 1993 में हुआ और वर्ष 1998 में राइस मिल में हुई दुर्घटना में उनका एक हाथ कट गया और वह दिव्यांग हो गये ,  लेकिन टूनटून ने कभी हालात को खुद पर हावी नहीं होने दिया । वर्ष 2010 में उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ टाइपिंग और डाटा  एंट्री का कार्य भी सीख लिया। वह एक हाथ से टाइप करते हैं और उनकी टाइपिंग स्पीड काफी अच्छी है । टूनटून को उनकी योग्यता के बल पर 29 जून 2018 को राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र पर बतौर डाटा   एंट्री ऑपरेटर की नौकरी मिली और यहीं से बैठ कर वह छह यूपीएचसी की रिपोर्टिंग का कार्य कर रहे हैं।

नौकरी के महज दो साल बाद कोविड का दौर आ गया जिसमें नौकरी सिर्फ नौकरी न थी, बल्कि सेवा का पर्याय बन गयी । कोविड काल में टूनटून को छह शहरी स्वास्थ्य केंद्रों  में लगी आरआरटी टीम, कांटैक्ट ट्रेसिंग टीम व अन्य रिपोर्टिंग संबंधित दायित्व दिया गया । इस कार्य में दिन रात, अवकाश, आराम की गुंजाइश न  के बराबर थी। इस कार्य की मॉनीटरिंग सीधे जिला प्रशासन कर रहा था, जिसकी वजह से किसी भी तरह की चूक  न करना एक बड़ी चुनौती थी । जिला स्तरीय टीम की देखरेख में टूनटून ने कमियों को  को ढूंढ-ढूंढ कर ग्राउंड टीम से कोआर्डिनेट किया जिससे गुणवत्तापूर्ण सेवाएं दी जा सकीं ।

पैदल चले जाते थे

टूनटून बताते हैं कि लॉकडाउन के पहले चरण  में कार्यालय जाने के लिए कोई साधन नहीं उपलब्ध था और वह बाइक नहीं चला सकते । ऐसे में जब तैनाती स्थल से मीटिंग के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय जाना होता था तो पैदल ही चले जाते थे । कोविड काल में लोगों की परेशानियों को देखते हुए अपनी परेशानियां कभी महसूस नहीं हुईं । कार्य के दौरान एसीएमओ डॉ. नंद कुमार और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरप्रित ने कदम-कदम पर टूनटून का मनोबल बढ़ाया । 

कोविड से ठीक हुए और शुरू कर दी ड्यूटी

कार्य के दौरान टूनटून कोविड पॉजीटिव भी हो गये । उनका ऑक्सीजन स्तर 80 से 82 तक आ गया था । वह हफ्ते भर बेड पर रहे, लेकिन जैसे ही ठीक हुए फिर से कोविड ड्यूटी में जुट गये । कोविड जांच में मरीज के गलत पते की एंट्री एक बड़ी चुनौती थी । मरीज  का सही लोकेशन पता करने और उसे सही आरआटी तक ट्रांसफर करने में टूनटून ने अहम भूमिका निभाई ।

सराहनीय कार्य 

शहरी स्वास्थ्य मिशन के समन्वयक सुरेश सिंह चौहान का कहना है कि चाहे कोविड काल की रिपोर्टिंग हो अन्य स्वास्थ्यगत मुद्दों   की रिपोर्टिंग हो, टूनटून यादव का कार्य सबसे उत्कृष्ट है । कोविड काल में आरआरटी की पेंडेंसी क्लियर कराने के लिए उन्होंने काफी श्रम किया और टीम को लगातार महत्वपूर्ण सूचनाओं से अवगत कराते रहे ।



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